हिन्दू महासभा का संविधान - Constitution of Hindu Mahasabha

‘हिंदी में’ (संविधान)

अखिल भारत हिन्दू महासभा
;1860 के विधेयक 21 के अनुसार रजिस्टर्डद्ध
उद्देष्य, लक्ष्य तथा नियमोपनियम

1 – नाम
इस संस्था का नाम अखिल भारत हिन्दू महासभा होगा।
2 – कार्यक्षेत्र
हिन्दू महासभा का कार्यक्षेत्र उस समस्त भारत-भूखण्ड तक विस्तृत जैसा कि यह 14 अगस्त 1947 से पूर्व था।
3 – लक्ष्य
हिन्दू महासभा का लक्ष्य भारत में हिन्दूराष्ट्र की संस्कृति एवं परंपराओं पर आधारित वास्तविक जनतंत्रात्मक हिन्दू राज्य की स्थापना करना है।
3;कद्ध अखिल भारत हिन्दू महासभा विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति निश्ठा एवं आस्था रखती है। समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता तथा प्रजातंत्र में विष्वास रखती है और भारत की एकता एवं अखण्डता को बनाए रखने के लिये वचनबद्ध है।
4 – उद्देष्य
हिन्दू महासभा के निम्न उद्देष्य हैं –
;कद्ध हर प्रकार की विशमताओं एवं अयोग्यताओं को दूर करके एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण करना,जिसमें समस्त राष्ट्रीय घटक राष्ट्र की सेवा के लिये समान अवसरों का उपभोग कर सकेंगे।
;खद्ध प्रत्येक घटक के लिये विचार और उसकी अभिव्यक्ति, समाज गठन तथा पूजापद्धति के पूर्ण स्वातंत्रय का आष्वासन देना, परंतु यह सब राष्ट्रहित के प्रतिकूल न हो।
;गद्ध भारत की सैनिक दृश्टि से सुदृढ़ एवं सुरक्षा विशय से आत्मनिर्भर बनाना।
;घद्ध आर्य नारी के दैवी आदर्ष को समुन्नत करना और उन तथा षिषुओं की सुरक्षा, सुषिक्षा और व्यवसायिक प्रषिक्षणार्थ आश्रम स्थापना करना।
;चद्ध भारत को राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं भौतिक दृश्टि से बलवान तथा आत्मनिर्भर बनाना।
;छद्ध अर्थ वितरण में घोर विशमताओं को मिटाना, प्रत्येक राष्ट्रीय नागरिक को जीवनयापन के सम्मानित स्तर-प्राप्ति का आष्वासन देना और देष की अर्थव्यवस्था में श्रमिकों एवं कृशकों को उचित स्थान प्रदान द्वारा वर्गविद्वेश के स्थान पर वर्गसमन्वय स्थापित करना।
;जद्ध हिन्दूसमाज से च्युत व्यक्तियों का पुनरावर्तन और अन्यों का इसमें स्वागत।
;झद्ध गोरक्षण को प्रोत्साहित और गोहत्या का विरोध करना।
;टद्ध संस्कृत-निश्ठ हिन्दी को राष्ट्रभाशा और देवनागरी को राष्ट्रलिपि के रूप में स्थापित करना तथा क्षेत्रीय भाशाओं को यथोचित सम्मान देना।
;ठद्ध राष्ट्रीय एवं अंतर-राष्ट्रीय षान्ति तथा समुन्नति को दृश्टिगोचर रखते हुए अन्य राष्ट्रों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित करना।
;डद्ध तथाकथित अनुसूचित जातियों तथा परिगणित एवं पिछड़े वर्गों को आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक परिस्थितियों को समुन्नत करना ताकि वे षीघ्रतिषीघ्र षेश राष्ट्रीय घटकों के समान स्तर पर पहुंच सकें।
;णद्ध हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी द्वारा समय-समय पर निष्चित कार्यक्रमों के अनुसार सर्वहितैशी, सामाजिक,षैक्षणिक, एवं धर्मार्थ कार्यकलापों को सम्पन्न करना।उक्त उद्देष्यों के पूत्यर्ध सम्पतियों, भवनों तथा अन्य प्रकार की परिसम्पत्तियों का क्रय-विक्रय करना, दान में प्राप्त करना अथवा अन्य रीतियों से प्राप्त को ठिकाने लगाना एवं प्रबंध करना।
;तद्ध विदेष निवासी तथा प्रवासी हिन्दूओं के साथ सांस्कृतिक संबंध स्थापित करना और विष्वभर में हिन्दूत्व के प्रचार कार्य को विस्तृत करना।
;थद्ध अपने ध्येय से पूर्णतः अथवा अंषतः समान लक्ष्य रखने वाली संस्थाओं, संगठनों अथवा सभाओं को आत्मसात करना अथवा स्थापित करना और समय-समय पर, अपने निर्धारित उद्देष्यों के पूत्यर्थ उचित कार्यक्रम बनाना।
5- सदस्यता
;कद्धप्राथमिक सदस्य
18 वर्श अथवा उससे अधिक आयु का प्रत्येक हिन्दू जो लिखित रूप से हिन्दू महासभा के उद्देष्य तथा ध्येय को स्वीकार करे, एक रूपया प्रति वर्श देने पर हिन्दू महासभा का प्राथमिक सदस्य बनने का अधिकारी है।
वह व्यक्ति जो सिन्धु नदी से सिन्ध सागर तक विस्तृत भारतवर्श के इस पवित्र भूखण्ड को पित्रभूमि तथा पवित्रभूमि स्वीकार करता हो और भारत में प्रादूर्भूत किसी धर्म का अनुयायी हो, वह हिन्दू है।
आसिन्धुसिन्धुपर्यनता यस्य भारतभूमिका।
पितृभूः पुण्यभूष्चैव स वै हिन्दूरिति स्मृतः।।
;खद्ध एक व्यक्ति जो हिन्दू महासभों के ध्येयों और उद्देष्यों से सहमत है और अखिल भारत हिन्दू महासभा को चंदे के तौर पर कुल 10 रूपये देता है, और जिसकी हिन्दू महासभा की कार्यसमिति पुश्टि करती है, वह हिन्दू महासभा का आजीवन सदस्य समझा जायेगा।इस प्रकार निर्वाचित आजीवन सदस्य को वे सभी अधिकार, विषेशाधिकार, घोर उत्तरदायित्व प्राप्त होंगे जो सर्वसाधारण प्राथमिक सदस्य को किसी भी स्थिति में संगठन में कहीं भी प्राप्त है। तथापि किसी ऐसी स्थिति के लिये निर्धारित अतिरिक्त षुल्क उसने देना हो।
;गद्धसक्रिय सदस्य
हिन्दू महासभा का एक प्राथमिक सदस्य जो 21 वर्श अथवा इससे अधिक आयु का हो, गत दो वर्शों से निरंतर प्राथमिक सदस्य रहा हो,एक रूपया वार्शिक अतिरिक्त षुल्क दे दे और निम्नांकित में किन्ही दो षर्तों को पूरा करता हो, सक्रिय सदस्य अंकित हो सकेगा-
1 ़ हिन्दू महासभा के कोश के लिए अपने पास से अथवा अन्यत्र से दस रूपये वार्शिक प्रदान करे;
2 ़ प्रतिवर्श न्यूनातिन्यून 25 सदस्य बनायें;
3 ़ घर में गौ रखे;
4 ़ हिन्दू विचारधारा पर मौलिक तथा अनुमोदित साहित्य का सृजन करे;
5 ़ हिन्दू महासभा के लिए कारागार में गया हो;
6 ़ षुद्धि क्षेत्र में काम करता हो;
7 ़ हिन्दू महासभा के लिए प्रतिमास 20 घण्टे अर्पण करता हो।
सक्रिय सदस्यता तभी तक चालू रहेगी जब तक कि वार्शिक षुल्क दिया जाता रहेगा और दूसरी निर्धारित षर्तें पूरी होती रहेंगी।केवल सक्रिय सदस्य ही हिन्दू महासभा और इसकी षाखाओं के अधिकारी वर्ग के चुनाव में प्रत्याषी के रूप में खड़े हो सकेंगे।
6 ़सदस्यों का रजिस्टर
सदस्यों का रजिस्टर हिन्दू महासभा की प्रत्येक इकाई प्राथमिक तथा सक्रिय सदस्यों के स्थायी रजिस्टर रखेगी और राज्य सभाएं अपने सक्रिय सदस्यों की सूची हिन्दू महासभा के केंद्रीय कार्यालय को भेजेगी और साथ ही उक्त सूची में होने वाले परिवर्तनों से भी सूचित करती रहेगी

7 ़ संघटक-तत्व
हिन्दू महासभा में निम्नांकित सभाएं तथा समितियां सम्मिलित होगीं-
1- ग्राम या नगर हिन्दू सभाएं,
2- विधानसभा क्षेत्र हिन्दू सभाएं
3- जनपद ;जिलाद्ध या महानगर हिन्दू सभाएं,
4- प्रदेष ;राज्यद्ध हिन्दू सभाएं,
5- केंद्रीय ;अखिल भारतद्ध महासमिति,
6- केंद्रीय ;अखिल भारतद्ध कार्यकारिणी समिति। –
;खद्ध विधानसभा क्षेत्र हिन्दू सभाएं
विधानसभा क्षेत्रान्तर्गत ग्राम अथवा नगर सभाओं के सदस्यों का बीसवां अंष विधानसभा क्षेत्रीय हिन्दूसभा का निर्माण कर सकेगा, परंतु सदस्यों की संख्या पन्द्रह से कम न हो और इसमें न्यनतिन्यून तीन ग्राम अथवा नगर सभाओं के प्रतिनिधि सम्मिलित हों ा
;गद्ध जनपद ;जिलाद्ध या महानगर हिन्दुसभाओं के सदस्यों का पाचवां अंष जनपद अथवा महानगर हिन्दूसभा का निर्माण कर सकेगा ा
यदि उनकी संख्या बीस से कम न हो और उनमें न्यूनतिन्यून तीन विधानसभा क्षेत्र हिन्दूसभाओं के सदस्य सम्मिलित हों।
;घद्ध प्रदेष ;राज्यद्ध हिन्दू सभाएं
;1द्ध ;कद्ध हिन्दू महासभा संगठन में निम्नांकित प्रदेष ;राज्यद्ध सम्मिलित होगें ।
01 आन्ध््रा
02 आसाम-मय मेघालय, मणिपुर, नागालैड, अरूणांचल प्रदेष एवं त्रिपुरा
03 उत्कल
04 उत्तर-प्रदेष
05 केरल मय लकदिव मिनिकाय, अमीनविव द्धीप
06 गुजरात मय दमन और दिव और नगर हवेली
07 जम्मू और कष्मीर
08 तमिलनाडु
09 दिल्ली
10 पंजाब
11 पाण्डीचेरी
12 बिहार
13 बंगाल मय अण्डेमान और निकोबार द्वीप
14 मैसूर
15 मध्य प्रदेष
16 महाराश्ट मय गोवा
17 राजस्थान
18 सिन्ध
19 हरियाणा
20 हिमाचल प्रदेष

;खद्धअखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी समिति को अधिकार होगा कि वह हिन्दूसभा प्रदेषों की सीमाओं में परिवर्तन करे, नवीन प्रदेषों का सृजन करे या एक प्रदेष को तत्तत् प्रदेष ;राज्यद्ध सभा की अनुमति प्राप्त करके,दूसरे प्रदेष में विलीन करे।

;पपद्ध प्रान्तीय ;प्रदेषद्ध हिन्दूसभाओं के संबंध में नियम
;कद्ध समस्त इकाइयों की पूंजी अथवा सम्पत्ति के नियन्त्रण प्रबंध के विशय में अखिल भारत हिन्दू महासभा की सामथ्र्य तथा अधिकारों की प्रतिकूलता न होने पर साधारणतः प्रत्येक हिन्दूसभा व्यक्तिगत रूप से परस्पर व्यवहार के लिए एक स्वतंत्र इकाई समझी जाएगी और प्रत्येक सभा अपना पृथक हिसाब रखेगी जिसका निरीक्षण प्रत्येक प्रदेष सभा द्धारा अपने अधीनस्थ षाखाओं के प्रबंधक निर्मित नियमावली के अनुसार निर्वाचित अपनी-अपनी कार्यकारिणी सभा द्वारा सम्पन्न हुआ करेगा। कोई सदस्य अथवा अधिकारी वर्ग जो निज कार्य समिति द्वारा अधिकार प्राप्त होगें, न्यायालयों अथवा एतादृष अन्य स्थानों में अपनी-अपनी सभाओं का प्रतिनिधित्व कर सकेगें। अखिल भारत हिन्दू महासभा अपने स्वत्व एवं अधिकारों, जिनमें किसी सभा का निलम्बन अथवा विसर्जन भी सम्मिलित है, को सुरक्षित रखते हुए केवल प्रबंध की सुविधा के लिए अपनी अधिकार षक्ति विविध सभाओं को देती है जैसी कि नियम संख्या 13 में वर्णित है।
;खद्ध प्रत्येक प्रदेष ;राज्यद्ध हिन्दूसभा जनपद ;जिलाद्ध तथा अन्य सभाओं का गठन करेगी, संगदठनार्थ उचित संविधान का सृजन करेगी, कार्यवाही संचालनार्थ नियमोंपनियम बनाएगी, परंतु यह किसी भी दषा में अखिल भारत हिन्दू महासभा के संविधान अथवा केंद्रीय महासमिति द्धारा निर्मित नियमोपनियमों के विरूद्ध नहीं होंगे।ये नियमोपनियम एवं संविधान जो प्रादेषिक सभाओं द्वारा निर्मित किये जायेंगे। अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी की स्वीकृति की अपेक्षा रखेगें । कोई विषेश नियमावली न होने की दषा में इस संविधान में वर्णित नियम ही लागू होंगे ।
;गद्ध प्रत्येक प्रदेष हिन्दूसभा साधारणः फरवरी मास के अन्त में वर्श भर का अपना कार्यकाल तथा हिसाब आय-व्यय एवं सम्पत्ति का ब्योरा विवरण के साथ अखिल भारत हिन्दू महासभा को भेजेगा।
;घद्ध अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी सभा की स्वीकृति के बगैर कोई प्रदेष ;राज्यद्धहिन्दू सभा अपने किसी सदस्य को दो वर्श से अधिक की अवधि के लिए नही निकाल सकेगी ।
परंतु प्रदेष सभा की कार्यकारिणी के सदस्य की स्थिति में उसे निकालने के लिए अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी सभा की अग्रीम अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा ।
;ड़द्ध हिन्दू महासभा का एक घटक दूसरे घटक के आर्थिक ऋण के लिए उत्तरदायी नही होगा। हिन्दू महासभा और इसके अंतर्गत समस्त हिन्दू सभाएं अपने-अपने लेन देन की स्वयं उत्तरदायी होंगी

;चद्ध अखिल भारत हिन्दू महासभा के नई दिल्ली में मंदिर मार्ग स्थित सम्पत्ति संबंधी मामलों में तथा अपने द्वारा दिल्ली में या बाहर सीधे अपने ही नाम से खरीदी गई सम्पत्ति के बारे में जिसकी रजिस्ट्री उसके नाम से हुई हो, उनका वित्तीय दायित्व वहन करेगी ।
;छद्ध प्रत्येक प्रदेष में एक ही प्रदेष हिन्दूसभा होगी । इसमें जनपद ;जिलाद्ध अथवा महानगर की हिन्दूसभाओं के प्रतिनिधि अपने प्राथमिक सदस्यों की संख्या के अनुपात में लिए जायेंगे, मगर प्रत्येक जनपद अथवा महानगर का कम से कम एक प्रतिनिधि इसमें अवष्य होगा । इस अवसर पर सदस्यता की संख्या के अतिरिक्त प्रदेष ;राज्यद्ध सभाएं बीस तथा अन्य सदस्यों को अपने में सम्मिलित कर सकेंगी । कुल संख्या दो सौ पचास स अधिक न हो ।
;जद्ध प्रान्तीय सभा की कार्यकारिणी समिति में सदस्य संख्या बीस से अधिक नही होगी ।
;झद्ध अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी समिति द्वारा किसी प्रदेष ;राज्यद्ध हिन्दूसभा को अपने में सम्मिलित करने अथवा पूर्व सम्बंध के नवीनीकरण से पूर्व प्रत्येक प्रदेष ;राज्यद्ध हिन्दूसभा के एक हजार सदस्य होना अनिवार्य है ।
;टद्ध प्रदेष हिन्दूसभा के अध्यक्ष या महामंत्री के हस्ताक्षरों से युक्त प्रमाण-पत्र अखिल भारत समिति के सदस्यों की सूची के साथ होगा जिसमें कम से कम दो जिला सभाओं के सदस्यों की रसीदों की अधिकटियों की संपुश्टि होगी ।
प्रधान कार्यालय जब आवष्यक समझेगा अधिकटिया मांग सकेगा और अंतर होने की स्थिति में विभिन्न प्रदेष हिन्दूसभा के प्रधान के षब्द ही अंतिम माने जाएंगंे ।
;चद्धअखिल भारत हिन्दू महासभा की केंद्रीय महासमिति
हिन्दू महासभा की महासमिति निम्न रीति से निर्मित होगी-
;पद्ध प्रधान,कार्यकारी प्रधान यदि कोई हो । अखिल भारत हिन्दू महासभा के समस्त पूर्व प्रधान एवं पूर्व कार्यकारी प्रधान और उपाध्यक्ष जो निरंतर प्राथमिक सदस्य चले आ रहे हों,अखिल भारत समिति के ये सदस्य संबद्ध प्रदेष हिन्दूसभाओं से अतिरिक्त होगें ।
;पपद्ध पूर्व वर्श का अधिकारी वर्ग,
;पपपद्ध प्रत्येक प्रदेष ;राज्यद्ध सभा द्वारा, अपने सदस्यों में से, साधारण सभा में विधिवत विशयसूचि निकालकर फरवरी के अन्त तक,निम्रांकित परिणाम से निर्वाचित सदस्य प्रत्येक प्रदेष ;राज्यद्ध से पंाच सदस्य, सदस्य संख्या चाहे कितनी हो । प्रति 3000 प्राथमिक सदस्यों के पीछे 10 सदस्य ।
3000 से अधिक सदस्यता की स्थिति में प्रति 500 के लिए एक सदस्य प्रत्येक प्रदेष के सदस्यों की संख्या अधिकाधिक पचास होगी ।
;पअद्ध एक हिन्दूसभा का सदस्य अन्य प्रदेष हिन्दूसभा से अखिल भारत समिति का सदस्य न चुना जाएगा। जब तक उसका निवास या अचल संपत्ति,या व्यवसाय उस विषिश्ट प्रदेष में न हों ।
;1द्धहिन्दू महासभा संगठन में प्रत्यक्ष रूप से लाभ का कोई पद प्राप्त सदस्य, उदाहरणः कोई भी कर्मचारी अथवा ऐसा कोई व्यक्ति जो अखिल भारत हिन्दू महासभा के प्रत्यक्ष नियंत्रण वाले किसी संगठन से वेतन पाता हो, वह अखिल भारत समिति का सदस्य चुने जाने का अधिकारी न होगा ।
किसी व्यक्ति को अखिल भारत हिन्दू महासभा द्वारा अदा किया मानधन को इस मामले से छूट दी जाएगी ।
;अपद्ध इस संविधान की धारा 11 के अनुसार संबंधित षुल्क के साथ प्रतिवर्श 15 मार्च तक प्रत्येक प्रदेष सभा को अपने उपरिलिखित प्रतिनिधि सदस्यों की सूची अखिल भारत हिन्दूमहासभा के मंदिर मार्ग नई दिल्ली स्थित कार्यालय में अनिवार्य रूप से भेजनी होगी।
;छद्ध अखिल भारत हिन्दू महासभा की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति

हिन्दू महसभा की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति निम्र विधि से बनाई जाएगीः
;पद्ध वार्शिक अधिवेषन का अध्यक्ष
;पपद्ध वार्शिक अधिवेषन के षीध्र बाद हिन्दूमहासभा की केंद्रीय महासमिति द्वारा वर्श भर के लिए निर्वाचित अधिकारी वर्ग,
;पपपद्ध केंद्रीय महासमिति के सदस्यों में से निर्वाचित 20 प्रतिनिधि,
;पअद्ध हिन्दू महसभा के सदस्यगण में से प्रधान द्वारा मनोनीत पंाच सदस्य जो कि पदेन महासमिति के सभासद समझे जायेंगे।
;अद्ध यदि ऐसा कोई भी सदस्य जो भारत के किसी अन्य राजनीतिक दल का सदस्य हो तो उसे धारा 24 के अनुसार कार्य समिति का सदस्य या पदाधिकारी निर्वाचित अथवा नामंाकित न किया जा सकेगा । गैर राजनीतिक अथवा धर्मिक संगठन की सदस्यता को अनुमति होगी।
;अपद्ध हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी के प्रत्येक सदस्य को इस समिति को 10 रूपए वार्शिक षुल्क देना होगा । जब तक उक्त राषि न दी जाए तब तक वह सदस्य कार्यकारिणी सभा की बैठक में भाग लेने का अधिकारी नही होगा ।
9. अधिकारी वर्ग
हिन्दू महासभा के निम्र अधिकारी होगें
1;कद्धवार्शिक अधिवेषन का अध्यक्ष,पदेन
;खद्ध कार्यकारी प्रधान ;यदि कोई नियुक्त होद्ध,
;गद्ध उपाध्यक्ष छह की संख्या तक,
;घद्ध तीन मंत्री
;पद्धप्रधान मंत्री ;पपद्धसंगठन मंत्री ;पपपद्धकार्यलय मंत्री
;ड़द्धक्षेत्रीय सचिव-चार
;चद्धकोशाध्यक्ष
2. अधिकारीगण तब तक कार्य करते रहेंगे जब तक कि अनके स्थानापत्र महानुभाव कार्य न संभाल लें ।
3. अध्यक्ष समूचे संगठन का सर्वोच्च मुखिया होगा । प्रधानमंत्री अध्यक्ष के सामान्य षासन में संगठन का मुख्य षासक होगा और कोशाध्यक्ष महासभा की धनराषि का संरक्षक होगा ।
10.आर्थिक वर्श
हिन्दू महासभा का आर्थिक वर्श 1 अप्रैल से 31 मार्च तक परिगणित होगा

11. सदस्यता षुल्क का वितरण
;कद्ध हिन्दूमहासभा का सदस्यता षुल्क विविध सभाओं में निम्र प्रकार से वितरित होगा ।
;पद्ध ;1द्ध अखिल भारत हिन्दूमहासभा 10 प्रतिषत
;2द्धप्रंातीय हिन्दूसभा 10 प्रतिषत
;3द्धजनपद अथवा महानगर हिन्दूसभा 10 प्रतिषत
;4द्ध विधानसभा क्षेत्रीय हिन्दूसभा 10 प्रतिषत
;5द्ध ग्राम अथवा नगर हिन्दूसभा 60 प्रतिषत
;पपद्ध सक्रिय सदस्यों द्वारा संगृहीत दनराषि तथा उनका षुल्क निम्न प्रकार विभाजित होगा-
50 प्रतिषत संबद्ध इकाई घटक को
12.5 प्रतिषत उससे उच्च घटक को
12.5 प्रतिषत जनपद अथवा महानगर सभा को
12.5 प्रतिषत प्रदेष सभा को
12.5 प्रतिषत अखिल भारत हिन्दूमहासभा को
;खद्ध प्रत्येक सदस्य जो महासमिति के लिए निर्वाचित होगा, उक्त महासमिति को 5 रूप्ए वार्शिक षुल्क देगा। जब तक उक्त धनराषि न दी जाय तब तक सदस्य को महासमिति अथवा विशय निर्धारिणी समिति की कार्यवाहियों में भाग लेने का अधिकार नही होगा ।
12. अखिल भारत हिन्दू महासभा की महासमिति के अधिकार एवं कर्तव्य
अखिल भारत हिन्दू महासभा की महासमिति के निम्र अधिकार तथा कर्तव्य होगें-
;कद्ध नियमित रूप से हिसाब निरीक्षक द्वारा पड़ताल कराने के बाद कार्यकारिणी द्वारा स्वीकृत लेखा-जोखा पास करना ।
;खद्ध सामान्यतः नीति निर्धारित करना, चालु समस्याओं पर जो कि कार्यकारिणी सभा इसके समक्ष अपस्थित करें, प्रस्ताव पारित करना अथवा जिन विशयों की पूर्व सूचना किसी सदस्य ने बैठक से 7 दिन पहले दे रखी हो
;गद्ध प्रधान मंत्री द्वारा प्रस्तुत वर्श भर की कार्यवाही का विवरण स्वीकार करना ।
;घद्ध अपनी सदस्य संख्या में आकस्मिक रूप से होने वाले रिक्त स्थानों की पूर्ति, तत्तत प्रदेष के सदस्यों में से, उस प्रदेष सभा की सिफारिष पर जहां से स्थान खाली करने वाला सभासद निर्वाचित हुआ था् करना अथवा प्रदेष से उक्त अनुरोध के अभाव में अपने प्रस्ताव द्वारा किसी सदस्य को निर्वाचित कर लेना।
;ड़द्ध हिन्दूमहासभा के समस्त अधिकारों एवं कर्तव्यों का व्यवहार करना जिसमें संविधान का संषोधन भी सम्मिलित है।
13. कार्यकारिणी समिति के अधिकार तथा कर्तव्य
;पद्ध हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी समिति के निम्र अधिकार तथा कर्तव्य होगें ।
;कद्ध हिन्दू महासभा के उद्धेष्य तथा ध्येयों को कार्यान्वित करने के लिए हर प्रकार के उचित पग
उठाना ।
;खद्ध चालू समस्याओं पर विचार-विमर्ष करके उचित प्रस्ताव पारित करना सामान्य नीति के संबंध में महासमिति के पास सिफारिष करना और वार्विक अधिवेषन एवं महासमिति द्वारा स्वीकृत प्रस्तावों को कार्यान्वित करना ।
;गद्ध धनसंग्रह करना, इसे लाभार्थ लगााना, ऋण उठाना, चलाचल सम्पत्ति की उपलब्धि, सम्भाल, विक्रय करना, बंधक रखना अथवा लम्बी अवधि के लिए आवयक कागज पत्रों पर हस्ताक्षर करना परतुं सम्पत्ति को विक्रय करने, बंधक रखने, लम्बी अवधि के लिए भाडे़ पर चढाना या अन्य प्रकार से व्यवहार का अधिकार मंदिर मार्ग, नई दिल्ली स्थित हिन्दू महासभा की और से कार्यकारिणी के पास उसकी कार्यावधि के लिए धरोहर के रूप में सम्भालना है ।
;घद्ध कार्यकर्ताओं की नियुक्ति उनके वेतन तथा परिश्रमीक का निर्धारण करना ।
;ड़द्ध अधिकारी वर्ग के अधिकारों तथा कर्तव्यों के संबध में नियमोपनियमों का निर्माण करना ।
;चद्ध वार्शिक आय-व्यय का का आनुमानिक लेखा पास करना ।
;छद्ध अपने अधीनस्थ समस्त संगठनों के कार्यकलाप का निर्देषन, षासन तथा निरीक्षण करना, आवष्यक समझने पर उन्हें अपने साथ मिलाना, हटााना या निलंबित करना ।
;जद्धजिन प्रदेषों में वर्तमान संगठन सिद्धिपूर्वक कार्य न कर रहे हों, अथवा जिन प्रदेषों में ऐसे संगठन विधमान ही न हों, वह ंक.ीवब ; तदर्थ समितियां द्ध नियुक्त करना ।
;झद्ध अपने सदस्यों और अधिकारी वर्ग के रिक्त स्थानों की पूर्ती करना । यदि किसी सदस्य का निधन हो या उसने त्यागपत्र दिया हो अथवा पूर्व सूचना के बिना तीन कार्यसमिति में बैठकों में वह उपस्थित न रहे, तो उसका सदस्यत्व समाप्त किया जा सकेगा । तथापि जब तक संबद्ध सदस्य को पंजीकृत पत्र से सूचना प्रेशित न की जाएगी तब तक उसका सदस्यत्व रद् न समझा जाएगा ।
;टद्ध प्रदेष हिन्दूसभाओं के विवादों को निपटाना और प्रदेष हिन्दू सभाओं के निर्णय के विरूद्ध अपीले सुनना और उसका निर्णय करना ।
;ठद्ध हिन्दू महासभा के सदस्यों के विरूद्ध उपुक्त अन्वेशणानन्तर उनहे अपनी स्थिति व्यक्त करने का अवसर प्रदान करने के बाद, अनुषासनात्मक कार्यवाही करना ।
;डद्ध वार्शिक अधिवेषन की निष्चित तिथियों में उपयुक्त फेर-बदल करना ;संविधान में निर्णीत तिथियों से बारह मास से अधिक नही द्ध इससे अतिरिक्त समस्त चुनावों की तारीखों में परिवर्तन करना और सदस्यताभियान की अंतिम तिथि को निर्धारित करना ।
;ढद्ध समस्त विशयों जिनका उल्लेख संविधान में नहीं है, के संबंध में नियमों का निर्माण करना, परंतु वह संविधान के विरूद्ध न हों ।
;पपद्ध जब कार्यकारिणी समिति का सत्र न चल रहा हो तब अध्यक्ष महोदय उक्त समस्त अधिकारों का प्रयोग का सकेंगें ।
;14द्ध कार्यपद्धति संबंधी नियम
;कद्ध प्रधान, कार्यकर्ता प्रधान ;यदि कोई होद्ध या दोनों की अनुपस्थिति में उपस्थित उपप्रधानों में से कोई एक महासमिति अथवा कार्यकारिणी समिति के अधिवेषनों की अध्यक्षता करेगा इन सब की अनुपस्थिति में उपस्थित सदस्य अपने मध्य में से किसी एक को प्रधानत्व के लिए चुन लेंगे ।
;खद्ध कार्यकारिणी के उपस्थित सदस्यों के अतिरिक्त अखिल भारत हिन्दू महासभा के अधिवेषनों का कोरम निर्दिश्ट संख्याद्ध दसका होगा, इसमें कम से कम तीन प्रदेषों के प्रतिनिधि होगें।
;गद्ध कार्यकारिणी के अधिवेषनों का कोरम सात का होगा जिसमें अधिकारी वर्ग के अतिरिक्त अन्य तीन सदस्यों का होना आवष्यक होगा
;घद्ध यदि निर्दिश्ट संख्या के अभाव के कारण महासमिति का अथवा कार्यकारिणी समिति का कोई अधिवेषन नही हो सकेगा तो नवीन बैठक के लिये पूर्व कार्यक्रम का उल्लेख करके सूचना प्रसारित की जाएगी जिसमें कोरम ;निदिश्ट संख्याद्ध का होना आवष्यक नही होगा ।
;ड़द्ध अखिल भारत महा समिति की उस बैठक के अतिरिक्त जो सामन्यतः अधिवेषन के अवसर पर पदाधिकारियों के चयन के लियं ली जाती है, अखिल भारत समिति की एक और बैठक कार्यसमिति द्वारा देष की राजनीतिक स्थिति और हिन्दू महासभा की नीतियों ना विचारार्थ आयोजित की जाएगी।
;चद्ध महासमिति की प्रथम बैठक के अतिरिक्त सामान्य साधारण बैठकों के लिए निर्दिश्ट तिथि से पंद्रह दिन पूर्व सूचना देनी होगी । कार्यकारिणी सभा की सामान्य साधारण बैठक के लिए निर्दिश्ट तिथि से दस दिन पूर्व का नोटिस आवष्यक होगा ।
;छद्ध बैठकों के नोटिस प्रधान महोदय के आदेषानुसार प्रसारित किए जायेगें इनमें स्थान, तारीख मीटिंगों का समय अैार विचारणीय विशयों का उल्लेख होगा ।
;जद्ध महासमिति अथवा कार्यकारिणी सभा के आवष्यक अधिवेषन प्रधान या उपप्रधान के आदेषानुसार क्रमषः पूरे सात और तीन दिनों के नोटिस से बुलाये जा सकेंगे ।
;झद्ध महासमिति तथा कार्यकारिणी द्वारा पारिल प्रस्तावों की प्रतिलिपि उक्त समितियों के सदस्यों को उपयुक्त समय में नई देहली स्थित कार्यालय द्वारा उपलब्द करानी होगी ।

;टद्ध महासमिति के समस्त निर्णय, संविधान में संषोधन के अतिरिक्त उपस्थित सदस्यों की बहुसंख्या की सम्मति से होगें जब कि संषोधन निर्णय के लिए 25 अथवा दो तिहाई सदस्यों की बहुसंख्या, जो भी कम हो आवष्यक होगी ।
कार्यकारिणी सभा के निष्चय प्रषासनात्मक कार्यवाही के निर्णयों के अतितिक्त उपस्थित सदस्यों की बहुसंख्या से होंगे, जबकि प्रषासनात्मक निर्णयों के लिए उपस्थित सदस्यों को तीन-चैथाई की बहुसंख्या वांछनीय होगी।
15 ़ हिन्दू महासभा का हिसाब – किताब
हिन्दू महासभा के हिसाब-किताब की जांच प्रतिवर्श हुआ करेगी।
16 ़ महासभा के अधिवेषन
;कद्ध हिन्दू महासभा के वार्शिक अधिवेषन साधारणतः मार्च मास में ऐसे स्थान पर, जिसका निर्णय गत अधिवेषन में हुआ हो अथवा ऐसे किसी निर्णय के अभाव में अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी को ऐसा निर्णय करने का अधिकार होगा।
;खद्ध अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी सभा जब उपयुक्त समझे, विषेश अधिवेषन बुला सकेगी।
17 ़स्वागत समिति
;कद्ध जहां कार्यकारिणी समिति अधिवेषन करने का निर्णय ले उस प्रदेष की हिन्दूसभा अधिवेषन के लिए स्वागत समिति का गठन करेगी।
;खद्ध जिस प्रदेष में अधिवेषन होने जा रहा हो वहां की प्रदेष हिन्दू सभा वार्शिक सम्मेलन से न्यूनातिन्यून चार मास पूर्व स्वागत समिति को संगठित करेगी और इसमें वे सज्जन भी लिए जा सकेंगे जो कि हिन्दू सभा के संगठन में नहीं होंगे। स्वागत समिति का प्रत्येक सदस्य कम से कम तीन रूपये षुल्क देगा।
;गद्ध स्वागत समिति अपने सदस्यों में से अध्यक्ष तथा अन्य अधिकारी वर्ग का चुनाव करेगी, परंतु अध्यक्ष या प्रधानमंत्री किसी ऐसे सज्जन को निर्वाचन नहीं किया जाएगा, जो कि हिन्दू महासभा का सदस्य न हो।
18 ़ स्वागत समिति के कर्तव्य
;कद्ध अधिवेषन के सफलतापूर्वक सम्पादन का प्रबंध, एतदर्थ धनसंग्रह धारा 19 में निर्दिश्ट विधिनुसार अधिवेषन के लिए अध्यक्ष का चुनाव अधिवेषन के लिए अध्यक्ष का चुनाव अधिवेषन का हर प्रकार की संपन्नता के लिए प्रबंध, प्रतिनिधियों, अतिथियों और दर्षकों के यथासंभव स्वागत एवं आवास का इंतजाम करना – ये स्वागत समिति के कर्तव्य होंगे।
;खद्ध अधिवेषन की सम्पन्नता के तीन मास भीतर स्वागत समिति अनिवार्य रूप से अधिवेषन की कार्यवाही की रिपोर्ट तथा आय-व्यय का ब्यौरा हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी समिति को भेजेगी। षेश धन का अर्धांष महासमिति को और अर्धांष उस प्रदेष हिन्दू महासभा को जहां अधिवेषन संपन्न हुआ, जाएगा।
19 ़ प्रधान के निर्वाचन की पद्धति
;कद्ध स्वागत समिति सामान्यतः अधिवेषन की तिथि 90 दिन पूर्व विभिन्न प्रदेष हिन्दू सभाओं को यह सूचित करेगी कि वे एक पखवारे के अन्दर अधिकतम ऐसे तीन व्यक्तियों के नाम भेंजे जो उनके मत में अधिवेषन की अध्यक्षता हेतु चुने जा सकते हों।
इस प्रकार सुझाए गए सभी व्यक्तियों को सब नामों की पूर्ण सूची स्वागत समिति की ओर से पंजीकृत डाक द्वारा भेजी जाएगी। नाम वापसी लेने को अथवा चुनाव लड़ने को सहमत व्यक्ति स्वागत समिति को अधिवेषन की तिथि से 60 दिन पूर्व अपने निर्णय की सूचना देंगे। निष्चित तिथि स्वागत समिति के द्वारा उनको सूचित की जाएगी। जो व्यक्ति चुनाव लड़ने संबंधी अपनी सहमति की संपुश्टि न करेंगे उनके संबंध में यह समझा जाएगा कि उन्होंने अपना नाम वापिस ले लिया है। स्वागत समिति के द्वारा अधिवेषन की तिथि से 60 दिन पूर्व सभी प्रदेष हिन्दू सभाओं को चुनाव लड़ने वाले व्यक्तियों के नामों की सूची भेजी जाएगी। प्रत्येक प्रदेष हिन्दू सभा अधिवेषन की तिथि के 40 दिन पूर्व इन नामों में से किसी एक नाम की अंतिम रूप से सिफारिष की करेगी। ऐसी सिफारिष पर विचार करने के लिए स्वागत समिति की बैठक अधिवेषन के 40 दिन पूर्व होगी। प्रदेषों के बहुमत और स्वागत समिति, जिसका एक मत, द्वारा अनुषासित व्यक्ति आगामी अधिवेषन का अध्यक्ष घोशित किया जाएगा। यदि मत समान-असमान हों तो स्वागत समिति को निर्णायक मत देने का अधिकार होगा। किन्तु इस प्रकार निर्वाचित अध्यक्ष के चुनाव की वैधता के मामले में विवाद उत्पन्न होने पर यह मामला तुरन्त अखिल भारत हिन्दू महासभा की कार्यकारिणी के समक्ष भेजा जाएगा जिसका निर्णय अंतिम होगा।
यदि अध्यक्ष यह समझेगा कि प्रथम दृश्टि से ही अनियमितता या चुनाव में दोश विद्यमान हैं तो वहीं कार्यसमिति की ऐसी बैठक बुला सकेगा।साथ ही यह भी आवष्यक है कि जो व्यक्ति अध्यक्ष चुना जाए वह उस प्रदेष का न हो जिसमें हिन्दू महासभा का अधिवेषन आयोजित हो रहा हो।
;खद्ध विषेश अधिवेषन के अध्यक्ष का चुनाव हिन्दू महासभा की कार्यसमिति करेगी।
20 ़प्रतिनिधियों का चुनाव
;कद्ध प्रत्येक प्रदेष को उसी वर्श भर्ती किए अपने प्राथमिक सदस्यों की संख्या में से 50 के पीछे 1 प्रतिनिधि भेजने का अधिकार होगा। प्रत्येक जनपद ;जिलाद्ध हिन्दूसभा को प्रतिनिधियों में प्रतिनिधित्व प्राप्त होना चाहिए।
;खद्ध महासमिति के सदस्य पदेन प्रतिनिधि होंगे और 1 रूपया षुल्क देंगे।
;खद्ध प्रत्येक प्रदेष हिन्दू सभा अपने कार्य क्षेत्र के लिए प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए नियम बनाएगी और स्वागत समिति को इन प्रतिनिधियों की पूर्ण सूची अकरादि क्रम से बनाकर, जिसमें प्रतिनिधि का पूरा नाम, व्यवसाय, आयु लिंग;स्त्री या पुरूशद्ध और पता दर्ज हो, स्वागत समिति को ऐसे समय पर भेजेगी जिससे कि यह सूची।